दिन है सुहाना आज पहली तारीख है,
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है,
पहली तारीख है जी पहली तारीख है....
आज से 63 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘पहली तारीख’ का ये गाना जब भी कोई सुनता
है तो उसके चेहरे पर खुद-ब-खुद मुस्कान आ जाती है...कमर जलालाबादी के लिखे इस गीत
को सुधीर फड़के के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने बड़े मज़े ले ले कर गाया
था...फिल्म के नायक होने की वजह से ये गाना बड़े पर्दे पर किशोर पर ही फिल्माया
गया था...गाने में यही संदेश था कि पहली तारीख को नौकरीपेशा लोगों को तनख्वाह
मिलती है इसलिए ये उनके लिए महीने में खुशी का सबसे बड़ा दिन होता है...
अब लगता है इस गाने को हिन्दी ब्लॉगिंग के लिए भी थीम सॉन्ग बनाना होगा...ऐसा
इसलिए कि विगत 1 जुलाई को हिंदी ब्लॉगिंग को फिर से नई धार देने की मुहिम शुरू की
गई...अंशुमाला ने सबसे पहले ये प्रस्ताव दिया कि हर महीने की एक तारीख को सभी
हिन्दी ब्लॉगर्स अपने ब्लॉग्स पर पोस्ट ज़रूर लिखें...इसके लिए कम से कम एक दिन के
लिए फेसबुक को विराम देना पड़े तो दिया जाए...इसी कड़ी को बढ़ाते हुए हरदिलअजीज ताऊ
रामपुरिया ने 1 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा...मेरी
तरफ से हैशटेग #हिन्दी_ब्लॉगिंग का सुझाव दिया गया...
खुशी है कि इस सारी कवायद के बड़े सकारात्मक परिणाम सामने आए...सबसे अच्छी बात
ये रही कि इस मुहिम का संदेश हर हिन्दी ब्लॉगर तक पहुंचा...सबके सहयोग से एक बार
फिर ऐसा लगा कि हिंदी ब्लॉगिंग के 7-8 साल पुराने वाले दिन लौट आए...सब एक बड़े परिवार
के सदस्य की तरह दिखाई दिए...ब्लॉग पोस्ट, कमेंट, फेसबुक, ट्विटर जहां कहीं भी
जिससे जैसे भी हो सकता था सब ने हिंदी ब्लॉगिंग के पुन: जागरण के लिए अपनी सक्रियता दिखाई...मुहिम
के प्रचार के लिए अर्चना चावजी, केवल राम और शाहनवाज ने जिस तरह खुद ही आगे बढ़कर
ज़िम्मेदारी संभाली, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है...
जैसा कि मैं फेसबुक पोस्ट पर लिख चुका हूं कि बीते महीने में ब्लॉगिंग में वैसा ही आनंद आया जैसा कि 7-8 साल पहले आता था...आज की इस ब्लॉग पोस्ट को मिलाकर मैंने इस महीने में कुल 13 पोस्ट लिखीं...इस दौरान जहां पाठक आधार बढ़ा वहीं अलैक्सा रैंकिंग और इंडीब्लॉगर्स रैंक में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ...हां, मेरे साथ ये जरूर रहा कि दूसरे ज्यादा ब्लॉग्स पर जाकर टिप्पणी नहीं दे सका...इसका तोड़ यही है कि हफ्ते में कम से कम दो दिन इस काम के लिए भी वक्त निकाला जाए....
बीते एक महीने में ये अवधारणा गलत साबित हुई कि अब ब्लॉग कोई पढ़ना नहीं
चाहता...इसलिए ब्लॉगर्स ने यहां से विमुख होकर फेसबुक को ही पहली पसंद बना लिया...ब्लॉगिंग
नियमित की जाए तो आप देखेंगे कि ना सिर्फ आपकी पाठक संख्या बढ़ती है बल्कि गूगल भी आपकी उपस्थिति दर्ज करने लगता
है...फेसबुक पर आप कितना भी लिखो, ये फायदा आपको नहीं मिल सकता...आपका ब्लॉग एक
ऐसे सुविधाजनक दस्तावेज की तरह है जिसमें आप वर्षों पहले अपना लिखा भी बड़ी आसानी
से ढूंढ सकते हैं...फेसबुक पर ऐसा नहीं किया जा सकता...
ब्लॉग पर कम टिप्पणियों को लेकर हतोत्साहित होना भी सही नहीं है...आखिरकार जो
मायने रखता है वो है कंटेंट...आपके लेखन में अगर किस्सागोई की तरह दूसरों को
बांधने की क्षंमता है, विविधता है, नई
किंतु विश्वसनीय जानकारियों का समावेश है, तो आप देखेंगे कि आपका पाठक आधार लगातार
बढ़ेगा, अलैक्सा रैंकिंग में सुधार होगा और गूगल आपको सर्च में वरीयता देने
लगेगा...हम सभी ब्लॉगर्स को इसी दिशा में बढ़ने के लिए प्रयास करने चाहिए....
इस पोस्ट को विराम
दूं, इससे पहले एक काम की बात...भाई विनय प्रजापति का ‘तकनीक दृष्टा’ के नाम
से ब्लॉग है...इस ब्लॉग के जरिए वो ब्लॉगिंग समेत सोशल मीडिया से जुड़ी बड़ी काम
की बातें बताते हैं...हाल में उन्होंने अपनी एक पोस्ट में बताया है कि ब्लॉगिंग से
कमाई करने वाले ब्लॉगर्स किस तरह 1 जुलाई से गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) के दायरे में आ गए हैं...उनके लेख का निचोड़ इस तरह है-
1. ऑनलाइन कंटेट लिखना ब्लॉगिंग है और ब्लॉगिंग से विज्ञापन
के जरिए कोई कमाई होती है तो उस पर इंडियन टैक्सेशन लॉ के तहत टैक्स देना ज़रूरी
है...
2. ब्लॉगिंग पर 18% की दर से GST देय है
3. जो व्यक्ति भी
राज्य के बाहर या देश के बाहर से आमदनी कर रहा है, उसे सेंट्रल जीएसटी एक्ट के तहत
रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी है और उस पर छूट की सीमा लागू नहीं होगी...यानि छोटे
डीलर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स को जो 20 लाख की छूट मिलती है वो छूट विदेश से आमदनी
करने वाले लोग जैसे ब्लॉगर्स को नहीं मिलेगी...
4. कोई ब्लॉगर जीएसटी
रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो उस पर दो तरह की पेनल्टी लगेगी...रजिस्ट्रेशन नहीं
कराने के लिए 25,000रुपए पेनल्टी लगेगी...रिटर्न नहीं फाइल करने पर 100 रुपए प्रति
दिन के हिसाब से पेनल्टी देनी होगी...
5. सभी ब्लॉगर्स
(बशर्ते कि वो एक्सपोर्ट सर्विस के दायरे में नहीं आता हो) को जीएसटी अदा करना
अनिवार्य होगा। अब वो चाहे 1 रुपया कमा रहा हो या कई हजार डॉलर्स...
ये सब पढ़ना उन के
लिए जरूर बेचैनी बढ़ाने वाला होगा जिन्हें ब्लॉगिंग से कुछ कमाई हो रही
है...अधिकतर हिन्दी ब्लॉगर्स अभी ऐसी स्थिति में नहीं है इसलिए उनके लिए चिंता की
फिलहाल कोई बात नहीं है...लेकिन आज नहीं तो कल वो ऐसी स्थिति में आते हैं तो
उन्हें सभी नियम-कायदों की जानकारी तो होनी ही चाहिए...