दावा है इनसान को इससे ज़्यादा खूबसूरत पहले कभी नहीं देखा होगा...यहां सारे फूल, पत्तियां, पंखुड़ियां, तने, इनसानों के बने हैं...
आप हिम्मत हार जाते हैं और किसी काम को आप ये कह कर छोड़ देते है कि इसे करना मेरे बस की बात नहीं, याद रखिए जिस पल आप खुद को उस काम से अलग करते हैं, उसी के अगले पल से जीत शुरू होती है...इसलिए कोशिश कभी नहीं छोड़नी चाहिए...दो चूहों के माध्यम से समझिए ज़िंदगी के इस फ़लसफ़े को...Determination is life...Khushdeep
bahut sunder :-)
जवाब देंहटाएंक्या खूबसूरत रंग हैं ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंप्रकृति में इन्सान ही तो है जो कुछ बनाता है।
जवाब देंहटाएंअद्भुत संयोजन, मानवीय काया का अनुपम रंग छाया।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना आज तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
जवाब देंहटाएंhttp://tetalaa.blogspot.com/
wow its amazing dost ji :)
जवाब देंहटाएंलो जी हम तो खिल गये। आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
adbhut!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र.
जवाब देंहटाएंचूहों में मोटे की तो 'राम राम सत्' हो गई न.
छोटे ने मक्खन निकाल कर जान बचाई.
आपकी टिपण्णी के मक्खन के लिए मैं भी हाथ
पाँव मार रहा हूँ.
देखो जान बचती है या नहीं.